प्रथम प्रकार में इसे 10 मण्डलों में विभाजित किया गया है।
3.
मण्डलक्रम-इस क्रम में समस्त ग्रन्थ 10 मण्डलों में विभाजित है।
4.
यह पहलू तब बदला जब नाग साम्राज्य अनेकों शाखाओं और मण्डलों में विभाजित हो गया।
5.
समस्त वर्गो की संख्या 2006 है।2. मण्डलक्रम-इस क्रम में समस्त ग्रन्थ 10 मण्डलों में विभाजित है।
6.
उल्लेखनीय है कि नाग राजाओं का शासन प्रबन्ध उनके राज्य को कई केन्द्रीय शासन द्वारा संचालित स्वायत्त मण्डलों में विभाजित करता था, इन्ही में से एक था मधुर मण्डल जिसमें छिन्दक नागराजाओं की ही एक कनिष्ठ शाखा के मधुरांतक देव का आधिपत्य था।